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Showing posts from July, 2016

जो अच्छा लगे वो करो

"युवा समाज सुधारक संघ" जो लोग कहते है न बहुत थक गया हु।।।उनके लिए ये लाइन दोस्तों इन्शान थकता तभी है जब वो जो काम कर रहा है उसके मन का न हो क्योकि मन को जो काम अच्छा लगता है न उसमे थकान होती कहा है 6 नही 16 घंटे काम करो नही थकोगे मेरा चेलेंज है।।।। कभी कोई बोलता है में मूवी देखकर थक गया ?? वहा से बड़ा खुश निकलते है और बोलते भी है काश ये जिंदगी भी मूवी जेसी होती 😊😊😊😊 इसलिए दोस्तों वही काम करो जो मन को अच्छा लगे ।। ज़िन्दगी की रेश में बस दौड़े मत जाओ जिसमे जीने का मजा ही न हो👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌 -कुलदीप सिंह

यमराज का सन्देश

"युवा समाज सुधारक संघ" ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के समय आत्मा को स्वर्ग या नरक के द्वार पर साथ ले जाने के लिए यमदूत पृथ्वीलोक पर आते हैं, जहां यमराज के सामने इंसान के कर्मों के लिए आत्मा को फटकार लगाई जाती है. उनके सामने अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर दंड दिया जाता है. यमलोक में यमराज इंसान के कर्मों के आधार पर स्वर्ग और नरक का फैसला करते हैं. प्राचीन शास्त्रों में उल्लेख के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि यमराज ने अपने एक भक्त अमृत को वचन दिया था कि वे हर किसी के मौत से पहले इसकी सूचना भेजेंगे, ताकि लोगों को पता हो जाए कि उसकी मृत्यु कब होने वाली है और उस बीच में वह अपने सारे अधूरे काम कर सके. यमराज और अमृत की जबरदस्त कहानी है. एक समय की बात है, यमुना के किनारे अमृत नाम का व्यक्ति रहा करता था. वह यम देवता की दिन-रात पूजा किया करता क्योंकि उसे अकसर अपनी मौत का भय सताता रहता था. मौत को दूर रखने के लिए वह यमराज से दोस्ती करना चाहता था. यमराज अमृत की तपस्या से प्रभावित हुए. जब यमराज प्रकट हुए, तो अमृत ने यम से अमरता का वरदान मांगना चाहा. तब यम ने अमृत को समझाया, जिसने जन्म लिया ह

लालच

"युवा समाज सुधारक संघ" एक नगर मे रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर-दूर तक थी। पास ही के गाँव मे स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजह से, उन्हें वहाँ का पुजारी नियुक्त किया गया था। ♧♧एक बार वे अपने गंतव्य की और जाने के लिए बस मे चढ़े, उन्होंने कंडक्टर को किराए के रुपये दिए और सीट पर जाकर बैठ गए। ♧♧कंडक्टर ने जब किराया काटकर उन्हे रुपये वापस दिए तो पंडित जी ने पाया की कंडक्टर ने दस रुपये ज्यादा दे दिए है। पंडित जी ने सोचा कि थोड़ी देर बाद कंडक्टर को रुपये वापस कर दूँगा। ♧♧कुछ देर बाद मन मे विचार आया की बेवजह दस रुपये जैसी मामूली रकम को लेकर परेशान हो रहे है, आखिर ये बस कंपनी वाले भी तो लाखों कमाते है, बेहतर है इन रूपयो को भगवान की भेंट समझकर अपने पास ही रख लिया जाए। वह इनका सदुपयोग ही करेंगे। ♧♧मन मे चल रहे विचार के बीच उनका गंतव्य स्थल आ गया बस से उतरते ही उनके कदम अचानक ठिठके, उन्होंने जेब मे हाथ डाला और दस का नोट निकाल कर कंडक्टर को देते हुए कहा, "भाई तुमने मुझे किराया काटने के बाद भी दस रुपये ज्यादा दे दिए थे।" ♧♧कंडक्टर मुस्कराते

उतने ही पैर पसारो,जितनी चादर

" युवा समाज सुधारक संघ " एक कछुआ यह सोचकर बड़ा दुखी रहता था कि पक्षीगण बड़ी आसानी से आकाश में उड़ा करते हैं , परन्तु मैं नही उड़ पाता । वह मन ही मन यह सोचविचार कर इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि यदि कोई मुझे एक बार भी आकाश में पहुँचा दे तो फिर मैं भी पक्षियो की तरह ही उड़ते हुये विचरण किया करूँ । एक दिन उसने एक गरूड़ पक्षी के पास जाकर कहा - भाई ! यदि तुम दया करके मुझे एक बार आकाश में पहुँचा दो तो मैं समुद्रतल से सारे रत्न निकालकर तुम्हे दे दुँगा । मुझे आकाश मे उड़ते हुऐ विचरण करने की बड़ी ईच्छा हो रही है । कछुए की प्रार्थना तथा आकांक्षा सुनकर गरुड़ बोला - ' सुनो भाई ! तुम जो चाहते हो उसका पूरा हो पाना असम्भव है क्योंकि अपनी क्षमता से ज्यादा आकांक्षा कभी पूरी नही हो पाती ।' परन्तु कछुआ अपनी जिद पे अड़ा रहा , और बोला ! बस तुम मुझे एक बार उपर पहुँचा दो, मैं उड़ सकता हुँ, और उड़ुँगा और यदि नही उड़ सका तो गिरकर मर जाऊंगा, इसके लिये तुम्हे चिंता करने की जरुरत नही । तब गरुड़ ने थोड़ा सा हँसकर कछुए को उठा लिया और काफी उँचाई पर पहुँचा दिय । उसने कहा - 'अब तुम उड़ना आरम्भ करो ' इतना कहकर

क्या बदल गया

"अक्सर सुना जाता है कि अब दुनिया बदल गई है...!! पर जरा सोचिये..**🌺" क्या बदला है जमाने में ?* *➖" मिरची ने अपनी तिखाश नहीं बदली,* *➖ आम ने अपनी मिठास नहीं बदली,* *➖ पत्तों ने अपना हरा रंग नहीं बदला,* *➖ चिडियों ने चहकना नहीं छोडा,* *➖ फूलों ने महकना नहीं छोडा। "* *➖ ईश्वर ने अपनी दयालुता हमेशा दि..* *➖ प्रकृति ने अपनी कोमलता नहीं बदली... **बदलीं हैं तो इंसान ने अपनी इंसानियत ,* *🍃और दोष देता हैं पूरी दुनिया को...!* *➖" दुनिया सतयुग में भी ऐसी ही थी,* *➖ त्रेता में भी, द्धापर में भी, और कलयुग में भी।**बदला है तो सिर्फ इन्सान बदला,* *👌या इन्सान की सोच बदली है।* * *

ईर्ष्या से बचे

🌾चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती, वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है, मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी चिंता में आ जाते हैं। *तुलना से बचें और खुश रहें*। ना किसी से ईर्ष्या , ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंजिलें मेरी अपनी दौड़..!!!            🌹   💐 जो पिता के पैरों को छूता है वो कभी गरीब नहीं होता। जो मां के पैरों को छूता है वो कभी बदनसीब नही होता। जो भाई के पैरो को छूता है वो कभी गमगीन नही होता। जो बहन के पैरों को छूता है वो कभी चरित्रहीन नहीं होता जो गुरू के पैरों को छूता है उस जैसा कोई खुशनशीब नहीं होता।। -शैलेन्द्र तोमर

कठोर किन्तु सत्य

कठोर सत्य 1- माचिस किसी दूसरी चीज को जलाने से पहले खुद को जलाती हैं..! गुस्सा भी एक माचिस की तरह है..! यह दुसरो को बरबाद करने से पहले खुद को बरबाद करता है... 2- आज का कठोर व कङवा सत्य !! चार रिश्तेदार एक दिशा में तब ही चलते हैं , जब पांचवा कंधे पर हो... 3- कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए मगर, नल को देखकर कीचड़ में नही जाना चाहिए, इसी प्रकार... जिन्दगी में बुरा समय आ जाये तो... पैसों का उपयोग करना चाहिए मगर... पैसों को देखकर बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए... 4- रिश्तों की बगिया में एक रिश्ता नीम के पेड़ जैसा भी रखना, जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर तकलीफ में मरहम भी बनता है... 5- परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना, मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है... 6- जीवन का सबसे बड़ा गुरु वक्त होता है, क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सीखा सकता... 7- बहुत ही सुन्दर वर्णन है- मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए....अभिमान मर जाएगा आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए.....पत्थर दिल पिघल जाएगा दांतों को आराम देकर देखिए.........स्वास्थ्य सुधर जाएगा जिव्हा पर विराम लगा कर

परमात्मा को धन्यवाद करो

✔जब भी बड़ो के साथ बैठो तो परमात्मा का धन्यवाद , क्योंकि कुछ लोग इन लम्हों को तरसते हैं । ✔जब भी अपने काम पर जाओ तो परमात्मा का धन्यवाद करो क्योंकि बहुत से लोग बेरोजगार हैं । ✔परमात्मा का धन्यवाद कहो जब तुम तन्दुरुस्त हो , क्योंकि बीमार किसी भी कीमत पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं । ✔ परमात्मा का धन्यवाद कहो की तुम जिन्दा हो , क्योंकि मरते हुए लोगों से पूछो जिंदगी कीमत ।

जवानी का नशा चढ़ता नही, उतरता भी है

" युवा समाज सुधारक संघ " माँ बेटे की लड़ाई को आज दो दिन हो गए थे। कहे मुताबिक़ गौरव साहब ने 2 दिन से घर का पानी भी नहीं पिया था। दोपहर में एक बजे उठते नहा धोकर बाहर निकल जाते। तीसरे दिन उनकी नयी नवेली धर्मपत्नी नंदिनी अपने मायके से पगफेरे की रस्म करके लौटी... माँ ने बेटे का मान रखते हुए बहू को कुछ बताना अच्छा नहीं समझा। पर घर में जो हालात चल रहे थे उन्हें देखकर गूंगा बहरा भी समझ जाए की कहानी क्या है। वो तो तब भी गौराव की पत्नी थी। खैर सास और पति दोनों का मान रखते हुए उसने किसी से भी कोई भी सवाल करना ज़रूरी नहीं समझा। तीन चार दिन यूँ ही निकल गए और एक दिन बाहर से आकर नंदिनी को आदेश देते हुए गौरव बोले "फटाफट पैकिंग कर लो हमे कलकत्ते के लिए निकलना है।" "एकदम से कैसे प्लान बन गया? माँ से पूछ लूँ फिर पैकिंग करती हूँ।" नंदिनी ने कमरे से बाहर निकलते हुए कहा। गौरव ने उसे रास्ते में ही रोक लिया उसका हाथ झिड़क कर बोला "माँ से पूछने की कोई ज़रुरत नहीं है। जब मै उनसे बात नहीं कर रहा तो तुम भी नहीं करोगी। और मै तुम्हारा पति हूँ जितना कह दिया उतना करो बस।"

पैसा क्या नही करवाता

" युवा समाज सुधारक संघ " पैसा आदमी से क्या नहीं करवाता है" जब पैसा नहीं होता है तो सब्जियां पका के खाता है और जब पैसा आ जाता है तो सब्जियां कच्ची खाता है। जब पैसा नहीं होता है तो मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाता है और जब पैसा आ जाता है तो इंसान भगवान को दर्शन देने जाता है। जब पैसा नहीं होता है तो नींद से जगाना पड़ता है और जब पैसा आ जाता है तो नींद की गोली देके सुलाना पड़ता है। जब पैसा नहीं होता है तो अपनी बीवी को सेक्रेट्री समझता है लेकिन जब पैसा आ जाता है तो सेक्रेट्री को बीवी बना लेता है।। ऐसा है ये पैसा अजीब है ये पैसा...? छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष। उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है। बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग, कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा, नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही कितना ? 8/10 वर्ष। उसमें भी हम शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें, और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़ जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन