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Showing posts from August, 2016

कभी परिवार ना टूटे

"युवा समाज सुधारक संघ" रावण जब रणभूमि में मृत्युशय्या पर अंतिम सांसे ले रहा था तब उसने श्री राम से कहा- 🏆'राम मैं तुमसे हर बात में श्रेष्ठ       हूँ। 🏆जाति मेरी ब्राह्मण हैं, जो तुमसे      श्रेष्ठ है। 🏆आयु में भी तुमसे बड़ा हूँ। 🏆मेरा कुटुम्ब तुम्हारे कुटुम्ब से      बड़ा है। 🏆मेरा वैभव तुमसे अघिक हैं। 🏆तुम्हारा महल स्वर्णजड़ित है      परन्तु मेरी पूरी लंका ही स्वर्ण      नगरी है। 🏆मैं बल और पराक्रम में भी तुमसे      श्रेष्ठ हूँ। 🏆मेरा राज्य तुम्हारे राज्य से      बड़ा है। 🏆ज्ञान और तपस्या में तुमसे श्रेष्ठ      हूँ। 🏆इतनी श्रेष्ठताओं के होने पर भी      रणभूमि में मैं तुमसे परास्त हो      गया। 👉👉सिर्फ इसलिये कि तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ है, और मेरा भाई मेरे खिलाफ..............???? 🙏 बिना भाई के साथ के जब रावण हार सकता है तो हम किस घमंड में है ..? सदा साथ रहिये  सदा विजय रहिये ...... सभी को कोशिश करनी चाहिए की कभी परिवार टूटे नही। अंदरुनी एकता बनाये रखो । क्योकि- ''किसी भी पेड़ के कटने का किस्सा न होता, अगर कुल्हाड़ी के पीछे लक

सुविचार

"युवा समाज सुधारक संघ" सुविचार ऐसे जो दिल को छू जाए। 1. क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं। 2. ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं। 3. कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं, और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं। 4. इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म। 5. सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा. आपसे हर मसले पर बात करेगा. लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा। 6. हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा। 7. खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो। 8. अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही। 9. इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही, अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं। 10. जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं। 11. हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो। 12. दुनिया में सबसे ज्यादा

आलोचना से ऊपर उठो

"युवा समाज सुधारक संघ" एक दिन स्कूल टीचर ने बोर्ड पर लिखा : 9×1=7 9×2=18 9×3=27 9×4=36 9×5=45 9×6=54 9×7=63 9×8=72 9×9=81 9×10=90 जब उन्होने पूरा लिख लिया, उन्होने विद्यार्थियों की तरफ देखा और पाया कि सभी विद्यार्थी उन पर हँस रहे हैं, क्योंकि प्रथम गुणांक गलत था ! फिर टीचर ने कहा कि, "मैने पहला वाला जान बूझ कर गलत लिखा , क्योंकि मै चाहती थी कि *आप आज बहुत महत्वूर्ण बात सीखें.* मैं चाहती थी कि आप जानें कि संसार में आप के साथ कैसा व्यवहार होगा . आपने देखा, कि मैने *नौ बार सही लिखा* ,पर किसी ने मुझे इसके लिये बधाई नही दी ; अपितु मेरी *एक गलती* पर आप सभी हँसे,और मेरा उपहास किया. *यही सीख है*...: यह संसार आपकी हजार बार अच्छाई की तारीफ नही करेगा ,परन्तु आपके द्वारा की गयी गलती की आलोचना (उपहास) अवश्य करेगा ... परन्तु इससे आपको हताश व निराश होने की आवश्यकता नही है , *सदैव उपहास व आलोचना से ऊपर उठें  मजबूत बनें*

औलाद का मोह

"युवा समाज सुधारक संघ" गार्डन में लैपटॉप लिए एक लड़के से बुजुर्ग दम्पति ने कहा-😐 . "बेटा हमें फेसबुक का अकाउंट बना दो।" लड़के ने कहा- "लाइये अभी बना देता हूँ, कहिये किस नाम से बनाऊँ?"😆 . बुजुर्ग ने कहा- "लड़की के नाम से कोई भी अच्छा सा नाम रख लो।"😐😄 . लड़का ने अचम्भे से पूछा- "फेक अकाउंट क्यों ??"😴 . बुजुर्ग ने कहा- "बेटा, पहले बना तो दो फिर बताता हूँ क्यों ??"☺ . बड़ो का मान करना उस लड़के ने सीखा था तो उसने अकाउंट बना ही दिया।😇 . अब उसने पूछा- "अंकल जी, प्रोफाइल इमेज क्या रखूँ?" तो बुजुर्ग ने कहा- "कोई भी हीरोइन जो आजकल के बच्चों को अच्छी लगती हो।"😐 . उस लड़के ने गूगल से इमेज सर्च करके डाल दी, फेसबुक अकाउंट ओपन हो गया। . फिर बुजुर्ग ने कहा- "बेटा कुछ अच्छे लोगो को ऐड कर दो।" लड़के ने कुछ अच्छे लोगो को रिक्वेस्ट सेंड कर दी। फिर बुजुर्ग ने अपने बेटे का नाम सर्च करवा के रिक्वेस्ट सेंड करवा दी। . लड़का जो वो कहते करता गया जब काम पूरा हो गया तो उसने कहा.... "

जनकल्याण के लिए

"युवा समाज सुधारक संघ" एक ऐसी बात .....जो झकझोर दे। बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है इसे नजरन्दाज ना करें। बेशक लाईक कमेंट न करें ! लेकिन पढ़ें जरुर। गुड़गाँव में एक परिवार के स्कूल जाने वाले दो मासूम बच्चे सुबह अपने बिस्तर पर मृत पाये गये। उनकी मृत्यु के संभव कारणों की जाँच-पड़ताल करते हुए उनके खाने-पीने की पूछताछ की गयी तो बच्चों की माँ ने बताया कि बच्चों ने बाहर की कोई चीज़ नहीं खायी थी। लेकिन रात को सोते समय रोज़ाना की तरह उनको एक गिलास दूध जरूर पिलाया गया था। जब फ्रिज में रखे हुए दूध के भगौने की जाँच की गयी तो उसके तले में ३-४ इंच का एक साँप का बच्चा मरा हुआ पड़ा मिला। वह फ्रिज में कैसे पहुँचा और दूध के कटोरे में कैसे गिर गया? परिवार ने याद करके बताया कि वे सब्जी मंडी से पालक लाये थे और उस गड्डी को बगैर खोले बगैर देखे फ्रिज में रखा था । हो सकता है उसी पालक की गड्डी में से निकलकर वह साँप का छोटा सा बच्चा दूध के भगौने में गिर गया होगा। बेशक बच्चों की मौत का कारण तो स्पष्ट हो गया लेकिन परिवार ने अपने दो नौनिहाल बच्चे खो दिये। इसलिए फ्रिज में कोई वस्तु विशेष रूप से पत्तेदार

देश के समाज का दुर्भाग्य

एक शर्मनाक कड़वी सच्चाई...!!! नदी तालाब में नहाने में शर्म आती है, और स्विमिंग पूल में तैरने को फैशन कहते हैं. गरीब को एक रुपया दान नहीं कर सकते, और वेटर को टिप देने में गर्व महसूस करते हैं. माँ बाप को एक गिलास पानी भी नहीं दे सकते, और नेताओं को देखते ही वेटर बन जाते हैं. बड़ों के आगे सिर ढकने में प्रॉब्लम है, लेकिन धूल से बचने के लिए 'ममी' बनने को भी तैयार हैं. पंगत में बैठकर खाना दकियानूसी लगता है, और पार्टियों में खाने के लिए लाइन लगाना अच्छा लगता है. बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेन्ड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हैं. गरीब की सब्ज़ियाँ खरीदने मे इन्सल्ट होती है, और शॉपिंग मॉल में अपनी जेब कटवाना गर्व की बात है. बाप के मरने पर सिर मुंडवाने में हिचकते हैं, और 'गजनी' लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हैं. कोई पंडित अगर चोटी रखे तो उसे एन्टीना कहते हैं. और शाहरुख के 'डॉन' लुक के दीवाने बने फिरते हैं. . किसानों के द्वारा उगाया अनाज खाने लायक नहीं लगता, और उसी अनाज को पॉलिश कर के कम्पनियाँ बेचें, तो क्वालिटी नजर आन

आदमी की औकात

"युवा समाज सुधारक संघ" *आदमी की औकात* 🤔 ****************** एक माचिस की तिल्ली, एक घी का लोटा, लकड़ियों के ढेर पे कुछ घण्टे में राख….. बस इतनी-सी है आदमी की औकात !!!! एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया , अपनी सारी ज़िन्दगी , परिवार के नाम कर गया। कहीं रोने की सुगबुगाहट , तो कहीं फुसफुसाहट , ….अरे जल्दी ले जाओ कौन रोयेगा सारी रात… बस इतनी-सी है *आदमी की औकात!!!!* मरने के बाद नीचे देखा , नज़ारे नज़र आ रहे थे, मेरी मौत पे ….. कुछ लोग ज़बरदस्त, तो कुछ ज़बरदस्ती रो रहे थे। नहीं रहा.. ……..चला गया………. चार दिन करेंगे बात……… बस इतनी-सी है *आदमी की औकात!!!!!* बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा , सामने अगरबत्ती जलायेगा , खुश्बुदार फूलों की माला होगी …… अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी……… बाद में उस तस्वीर पे , जाले भी कौन करेगा साफ़… बस इतनी-सी है *आदमी की औकात !!!!!!* जिन्दगी भर , मेरा- मेरा- मेरा किया…. अपने लिए कम , अपनों के लिए ज्यादा जीया … कोई न देगा साथ…जायेगा खाली हाथ…. क्या तिनका ले जाने की भी है हमारी औकात ??? *हम चिंतन करें ………* *क्या है हमारी औकात

भरोसा

'युवा समाज सुधारक संघ" एक दिन चिड़िया बोली - मुझे छोड़ कर कभी उड़ तो नहीं जाओगे ? चिड़ा ने कहा - उड़ जाऊं तो तुम पकड़ लेना. चिड़िया-मैं तुम्हें पकड़ तो सकती हूँ, पर फिर पा तो नहीं सकती! यह सुन चिड़े की आँखों में आंसू आ गए और उसने अपने पंख तोड़ दिए और बोला अब हम हमेशा साथ रहेंगे, लेकिन एक दिन जोर से तूफान आया, चिड़िया उड़ने लगी तभी चिड़ा बोला तुम उड़ जाओ मैं नहीं उड़ सकता !! चिड़िया- अच्छा अपना ख्याल रखना, कहकर उड़ गई ! जब तूफान थमा और चिड़िया वापस आई तो उसने देखा की चिड़ा मर चुका था और एक डाली पर लिखा था..... ""काश वो एक बार तो कहती कि मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकती"" तो शायद मैं तूफ़ान आने से पहले नहीं मरता ।। "" (इसलिए कहते है किसी का भरोसा नही तोडना चाहिए) ज़िन्दगी के पाँच सच ~ सच नं. 1 -: माँ के सिवा कोई वफादार नही हो सकता…!!! ──────────────────────── सच नं. 2 -: गरीब का कोई दोस्त नही हो सकता…!! ──────────────────────── सच नं. 3 -: आज भी लोग अच्छी सोच को नही, अच्छी सूरत को तरजीह देते हैं…!!! ───────────────────────

बिल

माँ का बिल अनमोल " ● माँ ये बिल क्या होता है माँ ?” 8 साल के बेटे ने माँ से पूछा। ● माँ ने समझाया -- “जब हम किसी से कोई सामान लेते हैं या काम कराते हैं, तो वह उस सामान या काम के बदले हम से पैसे लेता है, और हमें उस काम या सामान की एक सूची बना कर देता है, इसी को हम बिल कहते हैं।” ● लड़के को बात अच्छी तरह समझ में आ गयी। रात को सोने से पहले, उसने माँ के तकिये के नीचे एक कागज़ रखा, जिस में उस दिन का हिसाब लिखा था। ● पास की दूकान से सामन लाया 5रु पापा के लिए कंघा लाया 5 रु दादाजी का सर दबाया १० रु माँ की चाभी ढूंढी १० रु कुल ३० रु यह सिर्फ आज का बिल है , इसे आज ही चुकता कर दे तो अच्छा है। ● सुबह जब वह उठा तो उसके तकिये के नीचे ३० रु. रखे थे। यह देख कर वह बहुत खुश हुआ कि ये बढ़िया काम मिल गया। ● तभी उस ने एक और कागज़ वहीं रखा देखा। जल्दी से उठा कर, उसने कागज़ को पढ़ा। माँ ने लिखा था -- • जन्म से अब तक पालना पोसना -- रु ०० • बीमार होने पर रात रात भर छाती से लगाये घूमना -- रु ०० • स्कूल भेजना और घर पर होम वर्क कराना -- रु ०० • सुबह से रात तक खिलाना, पिलाना, कपडे सिलाना, प्रेस क

सिद्ध आत्मा

"युवा समाज सुधारक संघ" -प्रेरणादायक यह संत तुकाराम के जीवन की एक कहानी हैं | जब वह महाराष्ट्र में रहते थे |उसी दौरान शिवाजी महाराज ने उन्हें बहुमूल्य वस्तुएं भेंट में भेजी जिनमें हीरे, मोती, स्वर्ण और कई वस्त्र थे | परन्तु संत तुकाराम ने सभी बहुमूल्य वस्तुए वापस भिजवा दिए और कहा – “हे महाराज ! मेरे लिए यह सब व्यर्थ हैं मेरे लिए स्वर्ण और मिट्टी में कोई अन्तर नहीं हैं जब से इस परमात्मा ने मुझे अपने दर्शन दिए हैं मैं स्वतः ही तीनों लोकों का स्वामी बन गया हूँ | यह सब व्यर्थ सामान वापस देता हूँ |” जब यह सन्देश महाराज शिवाजी के पास पहुंचा तब महाराज शिवाजी का मन ऐसे सिद्ध संत से मिलने के लिए व्याकुल हो उठा और उन्होंने उसी वक्त उसने मिलने के लिए प्रस्थान किया | कहानी से सीख :- एक सिध्द आत्मा को किसी तरह के भोग विलास की लालसा नहीं होती | और आज के वक्त में इस बात का ध्यान रखने की आवश्यकता हैं | भगवा चोला पहने हर व्यक्ति को ईश्वर का बंदा मानने की गलती ना करें | हमारी धार्मिक भावना बहुत बहुमूल्य हैं जिसके साथ किसी को भी खिलवाड़ करने का मौका ना दे | किसी गलत को स्वीकारने से अच्छा हैं

स्वयं के धर्म की चिंता करो

"युवा समाज सुधारक संघ" एक आदमी तालाब के किनारे बैठ कर कुछ सोच रहा था | तभी उसने एक पानी में किसी के डूबने की आवाज सुनी और उसने तालाब की तरफ देखा तो उसे एक बिच्छू तालाब में डूबता दिखाई दिया | अचानक ही वह आदमी उठा और तालाब में कूद गया | उस बिच्छु को बचाने के लिए उसने उसे पकड़ लिया और तालाब के बाहर लाने लगा | इससे घबराकर बिच्छू ने उस आदमी को डंक मारा | आदमी का हाथ खून से भर गया वो जोर-जोर से चिल्लाने लगा ,उसका हाथ खुल गया और बिच्छू फिर पानी में गिर गया | आदमी फिर उसके पीछे गया | उसने बिच्छु को पकड़ा | लेकिन बिच्छू ने फिर से उसे काट लिया | यह बार-बार होता रहा | यह पूरी घटना दूर बैठा एक आदमी देख रहा था | वो उस आदमी के पास आया और बोला – अरे भाई ! वह बिच्छू तुम्हे बार- बार काट रहा हैं | तुम उसे बचाना चाहते हो, वो तुम्हे ही डंक मार रहा हैं | तुम उसे जाने क्यूँ नहीं देते ? मर रहा हैं अपनी मौत, तुम क्यूँ अपना खून बहा रहे हो ? तब उस आदमी ने उत्तर दिया – भाई ! डंक मरना तो बिच्छू की प्रकृति हैं | वह वही कर रहा हैं लेकिन मैं एक मनुष्य हूँ, और मेरा धर्म हैं दुसरो की सेवा करना और मुसीबत मे