एक आदमी की नई नई शादी हुई और वो अपनी पत्नि के साथ वापिस आ रहे थे! रास्ते में वो दोनों एक बडी झील को नाव के द्वारा पार कर रहे थे, तभी अचानक एक भयंकर तूफ़ान आ गया ! वो आदमी वीर था लेकिन औरत बहुत डरी हुई थी क्योंकि हालात बिल्कुल खराब थे! नाव बहुत छोटी थी और तूफ़ान वास्तव में भयंकर था और दोनों किसी भी समय डूब सकते थे! लेकिन वो आदमी चुपचाप, निश्चल और शान्त बैठा था जैसे कि कुछ नहीं होने वाला हो! औरत डर के मारे कांप रही थी और वो बोली "क्या तुम्हें डर नहीं लग रहा" ये हमारे जीवन का आखरी क्षण हो सकता है! ऐसा नहीं लगता कि हम दूसरे किनारे पर कभी पहुंच भी पायेंगे! अब तो कोई चमत्कार ही हमें बचा सकता है वर्ना हमारी मौत निश्चित है! क्या तुम्हें बिल्कुल डर नहीं लग रहा? कहीं तुम पागल वागल या पत्तथर वत्तथर तो नहीं हो? वो आदमी खूब हँसा और एकाएक उसने म्यान से तलवार निकाल ली? औरत अब और परेशान हो गई कि वो क्या कर रहा था? तब वो उस नग्गी तलवार को उस औरत की गर्दन के पास ले आया, इतना पास कि उसकी गर्दन और तलवार के बीच बिल्कुल कम फर्क बचा था क्योंकि तलवार लगभग उसकी गर्दन को छू
संघ का निर्माण इस लिया किया है कि नवयुवको को एक नई दिशा मिले एक नई सोच मिले। यहाँ लिखी हुयी सारी कहानियां व विचार बहुत ही अच्छे है, इन्हें अपने जीवन से जोड़िये। मेरा विश्वास है आपको बहुत अच्छा लगेगा। और अच्छा लगे तो साझा अवश्य करे। धन्यवाद। ( yuva-ss-sangh.blogspot.com )