सर एक कप दूध मिलेगा क्या ?? 6 माह के बच्चे की माँ ने 3 स्टार होटल मैनेजर से पूछा.....!!
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मैनेजर "हाँ, 100 रू.मेँ मिलेगा".....
"ठीक है दे दो" महिला ने कहा.....
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जो पिकनिक के दौरान इस होटल मेँ ठहरी, सुबह जब गाड़ी मे जा रहे थे तो बच्चे को फिर भूख लगी,
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गाडी को टूटी झोपड़ी वाली पुरानी सी चाय
की दुकान पर रोका बच्चे को दूध पिला कर शांत किया.........!
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दूध के पैसे पूछने पर बूढा दुकान मालिक बोला - "बेटी हम बच्चे के दूध के पैसे नहीं लेते,
यदि रास्ते के लिए चाहिए तो लेती जाओ!
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"बच्चे की माँ के दिमाग मे एक सवाल
बार बार घूम रहा था कि अमीर कौन ??
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3 स्टार होटल वाला, या टूटी झोपड़ी वाला??
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मिली थी जिन्दगी किसी के 'काम' आने के लिए..
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पर वक्त बित रहा है कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
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क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..?
ना कफन मे 'जेब' है ना कब्र मे 'अलमारी..'
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और ये मौत के फ़रिश्ते तो 'रिश्वत' भी नही लेते..
एक पुरानी सी इमारत में वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो। एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकते हुए नज़र आए किन्त...
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