"युवा समाज सुधारक संघ"
जो लोग कहते है न बहुत थक गया हु।।।उनके लिए ये लाइन
दोस्तों इन्शान थकता तभी है जब वो जो काम कर रहा है
उसके मन का न हो क्योकि मन को जो काम अच्छा लगता है
न उसमे थकान होती कहा है 6 नही 16 घंटे काम करो
नही थकोगे मेरा चेलेंज है।।।।
कभी कोई बोलता है में मूवी देखकर थक गया ??
वहा से बड़ा खुश निकलते है और बोलते भी है काश ये जिंदगी भी मूवी जेसी होती 😊😊😊😊
इसलिए दोस्तों वही काम करो जो मन को अच्छा लगे ।।
ज़िन्दगी की रेश में बस दौड़े मत जाओ जिसमे जीने का
मजा ही न हो👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
-कुलदीप सिंह
एक पुरानी सी इमारत में वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो। एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकते हुए नज़र आए किन्त...
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