"युवा समाज सुधारक संघ"
आपातकाल :-
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1. भारत में कितने प्रकार की आपातकालीन
व्यवस्थाओं पर विचार किया जा सकता है
तीन
2. भारत का राष्ट्रपति किस प्रकार के आपात की घोषणा
कर सकता है
तीन प्रकार
3. भारत में अब तक कितनी बार आपातकाल
की घोषणा हो चुकी है
तीन बार
4. देश में पहली बार आपात काल की
घोषणा कब हुई
26 अक्टूबर 1962
5. दूसरी बार आपात की घोषणा कब हुई
3 दिसंबर,1971
6. तीसरी बार आपातकाल की
घोषणा कब हुई
25 जून,1975
7. तीसरी बार आपातकाल की
घोषणा किस आधार पर की गई
आंतरिक अशांति के कारण
8. राष्ट्रपति की आपातकाल की उद्घोषणा
को ससद के समक्ष उसकी स्वीकृति हेतु
कितने दिनों के अंदर रखा जाना चाहिए
1 माहके अंदर
9. किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात
काल की उद्घोषणा करता है
अनुच्छेद 352
10. प्रथम बार राष्ट्रीय आपातकाल की
घोषणा के समय भारत के राष्ट्रपति कौन थे
सर्वपल्ली राधाकृष्णन
11. राष्ट्रपति शासन की घोषणा सबसे अधिक किसके
समय में की गई थी
इंदिरा गाँधी के प्रथम शासन
12. भारत वित्तीय आपात की घोषणा
कितनी बार हुई
कभी नहीं
13. किस अनुच्छेद के अतर्गत राष्ट्रपति वित्तीय
आपात की घोषणा कर सकता है
अनुच्छेद 360
14. किस अनुच्छेद के अतर्गत राष्ट्रपति राज्य में आपात
की घोषणा कर सकता है
अनुच्छेद 356
15. जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन होता है तो
राज्य का कार्य भार किसके हाथ में होता है
राज्ययाल के हाथ में
16. देश में प्रथम बार किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन
कब लागू हुआ
20 जून, 1951
17. प्रथम बार किस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ
पंजाब
18. तीसरी बार आपातकाल की
घोषाण के समय भारत के राष्ट्रपति कौन थे
फखरुद्दीन अली अहमद
19. आपातकाल के समय इसकी स्वीकृति
कितने समय के अंदर संसद में रखना अनिवार्य है
एक माह के अंदर
20. किस संशोधन में राष्ट्रपति शासन की 6 माह
की अवधि को बढ़ाकर 12 माह कर दिया गया है
42 वा
एक पुरानी सी इमारत में वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो। एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकते हुए नज़र आए किन्त...
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