"युवा समाज सुधारक संघ"
एक अमीर आदमी अपने बेटे
को लेकर गाँव गया,
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ये दिखाने कि what is गरीबी
:
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गाँव की गरीबी दिखाने के
बाद बेटे से पूछा
"देखा गरीबी..??"
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बेटे ने जवाब दिया : हमारे
पास 1 dog ...........
उनके पास 10- 10 गाये है
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हमारे पास नहाने का छोटा
सा जगह है
..
उनके पास. तालाब है
.
हमारे पास बिजली है....
उनके पास सितारे...
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हमारे पास हवा मे' small
place of ....
उनके पास बडे बडे खेत......
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हम खाना डिब्बे का बासी
खाते है....
वो उगा कर और ताजा
तोडकर खाते है.
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उनके पास अपने सच्चे मित्र
है......
बस कंप्यूटर ही हमारा मित्र
है
.
हमारे पास खुशियाँ खरीदने
को पैसा है......
उनके पास खुशियाँ है पैसे
की जरुरत ही नही
.
उनके पापा के पास बेटे के
लिऐ समय है....
पापा आपके पास समय ......
नही है।
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:
:
पापा एकदम चुप....चाप.
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बेटे ने कहाँ ''Thanks पापा
for showing me कि हम
कितने गरीब है ।
एक पुरानी सी इमारत में वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो। एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकते हुए नज़र आए किन्त...
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