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रोचक जानकारी 9

"युवा समाज सुधारक संघ"
फ्लोरिडा में शादीशुदा महिलाये ही स्काई ड्राइव कर सकती हैं।

वाशिंगटन में लॉलीपॉप खाना मना है।

सऊदी अरब में तो महिलाये गैर मर्द को अपना चेहरा दिखाना तो दूर, अपना हाथ तक नहीं दिखा सकती हैं।

फ्लोरिडा की ली काउंटी में सूर्यास्त के बाद बुधवार को मूंगफली बेचना गैरकानूनी है।

इंटरनेट का यूज़ करना बर्मा में कानून के खिलाफ है।

खाली बंदूक दिखाकर टेक्सास में किसी को धमकी नहीं दे सकते।

ओहियो के ऑसफोर्ड में औरतों का किसी भी पुरुष की तस्वीर के सामने पहनना गैरकानूनी माना जाता है।

लॉस एंजिल्स में एक टब में दो बच्चों को नहलाना गैरकानूनी माना जाता है।

अर्केंसस में एक व्यक्ति अपनी पत्नी की महीने में एक बार पिटाई कर सकता है, लेकिन एक ही महीने में दो बार पिटाई करना एक बड़ा अपराध है।

स्वीडन में पुरे साल दिन में 24 घंटे कार की हेडलाइट ऑन रखनी जरूरी है।

ओरेगान में 69 नंबर की जर्सी पहनकर सड़क पर घूमने पर आपको जेल हो सकती है।

बोस्टन में एक घर में तीन कुत्तों से अधिक पालना गैरकानूनी है।

हवाई में जुड़वां भाई या बहन एक ही कंपनी में काम नहीं कर सकते।

ऑस्ट्रेलिया के विटोरिया शहर में आप अपने घर का बल्ब अपने आप नहीं बदल सकते, बल्ब बदलने के लिए आपको किसी लाइसेंस शुदा इलेक्ट्रिशियन को बुलाना होगा।

ईरान में महिलाओ का विश्व कप का मैच देखने पर बैन है।

सोती हुई महिला को किस करना ओहायो प्रांत के लोगान काउंटी में गैरकानूनी माना जाता हैं।

थाईलैंड में वहां के नोट पर पैर रखना गैरकानूनी है। इसके लिए आपको सजा हो सकती है, क्योंकि वहां के नोट पर सर्वाधिक सम्मानित थाई नरेश का चित्र बना हैं।

रूस में गंदी कार दौड़ाने के लिए एक बार में 2000 रूबल्स यानी करीब 3400 रुपए का जुर्माना लगता है।

रविवार के दिन एक ही ग्राहक को टूथ पेस्ट और टूथ ब्रश बेचना रोड आइलैंड पर गैरकानूनी माना जाता है।

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एक पुरानी सी इमारत में वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो। एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकते हुए नज़र आए किन्त...

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