भारत में कुछ लोग अपना नूतन वर्ष भूल गए हैं और अंग्रेजो का नववर्ष मनाने लगे हैं, उसमें किसी भारतीय की गलती नही है लेकिन भारत में अंग्रेजो ने 190 साल राज किया है और अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति खत्म करके अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही उसके कारण आज भी कई भारतवासी मानसिकरूप से गुलाम हो गये जिसके कारण वे भारतीय नववर्ष भूल गये और ईसाई अंग्रेजों का नया साल मना रहे हैं । 1 जनवरी आने से पहले ही कुछ नादान भारतवासी नववर्ष की बधाई देने लगते हैं, भारत देश त्यौहारों का देश है, सनातन (हिन्दू) धर्म में लगभग 40 त्यौहार आते हैं यह त्यौहार करीब हर महीने या उससे भी अधिक आते है जिससे जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं और बड़ी बात है कि हिन्दू त्यौहारों में एक भी ऐसा त्यौहार नही है जिसमें दारू पीना, पशु हत्या करना, मास खाना, पार्टी करने आदि के नाम पर दुष्कर्म को बढ़ावा मिलता हो । ये सनातन हिन्दू धर्म की महिमा है। भारतीय हर त्यौहार के पीछे कुछ न कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी छुपे होते हैं जो जीवन का सर्वांगीण विकास करते हैं हैं । ईसाई धर्म में 1 जनवरी को जो नया वर्ष मनाते है उसमें कुछ तो नयी अनुभूति होनी चाहिए ले
संघ का निर्माण इस लिया किया है कि नवयुवको को एक नई दिशा मिले एक नई सोच मिले। यहाँ लिखी हुयी सारी कहानियां व विचार बहुत ही अच्छे है, इन्हें अपने जीवन से जोड़िये। मेरा विश्वास है आपको बहुत अच्छा लगेगा। और अच्छा लगे तो साझा अवश्य करे। धन्यवाद। ( yuva-ss-sangh.blogspot.com )