"युवा समाज सुधारक संघ"
एक नगर
मे रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर-दूर तक थी।
पास ही के गाँव मे स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजह से,
उन्हें वहाँ का पुजारी नियुक्त किया गया था।
♧♧एक बार वे अपने गंतव्य की और जाने के लिए बस मे चढ़े,
उन्होंने कंडक्टर को किराए के रुपये दिए और सीट पर जाकर बैठ गए।
♧♧कंडक्टर ने जब किराया काटकर उन्हे रुपये वापस दिए तो
पंडित जी ने पाया की कंडक्टर ने दस रुपये ज्यादा दे दिए है। पंडित जी ने सोचा कि थोड़ी देर बाद कंडक्टर को रुपये वापस कर दूँगा।
♧♧कुछ देर बाद
मन मे विचार आया की बेवजह दस रुपये जैसी मामूली रकम को लेकर परेशान हो रहे है, आखिर
ये बस कंपनी वाले भी तो लाखों कमाते है,
बेहतर है इन रूपयो को भगवान की भेंट समझकर अपने पास ही रख लिया जाए।
वह इनका सदुपयोग ही करेंगे।
♧♧मन मे चल रहे विचार के बीच उनका गंतव्य स्थल आ गया
बस से उतरते ही उनके कदम अचानक ठिठके,
उन्होंने जेब मे हाथ डाला और दस का नोट निकाल कर कंडक्टर को देते हुए कहा,
"भाई तुमने मुझे किराया काटने के बाद भी दस रुपये ज्यादा दे दिए थे।"
♧♧कंडक्टर मुस्कराते हुए बोला,
"क्या आप ही गाँव के मंदिर के नए पुजारी है?"
पंडित जी के हामी भरने पर कंडक्टर बोला,
"मेरे मन मे कई दिनों से आपके प्रवचन सुनने की इच्छा थी, आपको बस मे देखा तो ख्याल आया कि
चलो देखते है कि मैं अगर ज्यादा पैसे दूँ तो आप क्या करते हो!
अब मुझे विश्वास हो गया कि आपके प्रवचन जैसा ही आपका आचरण है।
जिससे सभी को सीख लेनी चाहिए"
बोलते हुए, कंडक्टर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
♧♧पंडित जी बस से उतरकर पसीना पसीना थे।
उन्होंने हाथ जोड़कर भगवान का आभार व्यक्त किया,
♧♧"प्रभु तेरा लाख लाख शुक्र है जो तूने मुझे बचा लिया, मैने तो दस रुपये के लालच मे तेरी शिक्षाओ की बोली लगा दी थी।
पर तूने सही समय पर मुझे सम्हलने का अवसर दे दिया।"
-कुलदीप सिंह
*इसे पड़े और सेव कर सुरक्षित कर लेवे। वाट्सअप पर ऐसी पोस्ट बहोत कम ही आती है।👇* विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियो का अनुसंधान ) ■ क्रति = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग ■ 1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग ■ 2 त्रुति = 1 लव , ■ 1 लव = 1 क्षण ■ 30 क्षण = 1 विपल , ■ 60 विपल = 1 पल ■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) , ■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा ) ■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) , ■ 7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6 ऋतू = 1 वर्ष , ■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी ■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी , ■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग ■ 2 युग = 1 द्वापर युग , ■ 3 युग = 1 त्रैता युग , ■ 4 युग = सतयुग ■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग ■ 76 महायुग = मनवन्तर , ■ 1000 महायुग = 1 कल्प ■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ ) ■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म ) ■ महाकाल = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म ) सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व...
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