"युवा समाज सुधारक संघ"
एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी !
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी क्यों कि उसके मालिक, जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रक्खा था !
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी तो सोचती थी कि थोडी आराम कर लूँ ,वैसे ही उसे याद आता,कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा – गिलहरी फिर काम पर लग जाती !
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते देखती थी तो उसकी भी ईच्छा होती थी कि मैं भी खेलु पर उसे अखरोट याद आ जाता,और वो फिर काम पर लग जाती !
ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था, शेर बहुत ईमानदार था !
ऐसे ही समय बीतता रहा….
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आजाद कर दिया!
गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के ?
पूरी जिन्दगी काम करते – करते दाँत तो घिस गये, इन्हें खाऊँगी कैसे !
यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है !
इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है, पूरी जिन्दगी नौकरी, व्योपार, और धन कमाने में बिता देता है !
Comments
Post a Comment